खेतों में फसलें लहलहा रही हैं, चारों ओर हरियाली है। किसानों से लेकर आमजन तक में पानी की उपलब्धता को लेकर उत्साह है।
‘कर्मभूमि से मातृभूमि’ और ‘वंदे गंगा’ अभियानों के दिखने लगे असर: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार की दो महत्त्वपूर्ण पहलों —
‘कर्मभूमि से मातृभूमि’
‘वंदे गंगा जल संरक्षण-जन अभियान’
— के सार्थक परिणाम अब ज़मीनी स्तर पर दिखने लगे हैं।
इन अभियानों के तहत बने रिचार्ज शाफ्ट, जल संरचनाएं और जलाशयों की सफाई-सुधार कार्यों के कारण वर्षा जल सीधे ज़मीन में रिसकर भूजल स्तर को पुनर्भरित कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि आने वाले चार वर्षों में प्रवासी राजस्थानियों के सहयोग से 45 हजार जल संरचनाएं बनाई जाएंगी।
जल संरक्षण की बड़ी उपलब्धि: 75.33% जल भराव
जल संसाधन विभाग के आंकड़े चौंकाने वाले हैं:
693 बांधों में कुल भराव क्षमता: 13026.511 एमक्यूएम
वर्तमान जल संग्रहण: 9813.162 एमक्यूएम (75.33%)
23 वृहद बांधों में जलस्तर: 84.14%
670 लघु व मध्यम बांधों में जलस्तर: 60.39%
बीसलपुर बांध, टोंक: 6 गेट खुले — पहली बार जुलाई में ही ओवरफ्लो
नवनेरा बांध, कोटा: 13 गेट खुले
ईसरदा बांध: कैचमेंट में भारी वर्षा से जलप्रवाह चालू
अब तक 87% से अधिक मानसूनी वर्षा
1 जून से 28 जुलाई तक राज्य में
369.79 मिमी वर्षा दर्ज, जो सामान्य 196.79 मिमी से 87.91% अधिक है।
मानसून काल 30 सितंबर तक होता है, लेकिन अभी ही 87.07% औसत मानसूनी बारिश हो चुकी है।
सबसे ज्यादा बारिश: रामगंज मंडी, कोटा — 1261 मिमी
मुख्यमंत्री की अपील: सतर्क रहें, सुरक्षित रहें
मुख्यमंत्री श्री शर्मा ने प्रदेशवासियों से वर्षाकाल में विशेष सतर्कता बरतने की अपील की।
भारी वर्षा, बिजली गिरने और पुराने भवनों से दूर रहने की सलाह
नदियों-नालों के तेज बहाव और जलभराव वाले क्षेत्रों से बचने की चेतावनी
फिलहाल मानसून के दो महीने अभी बाकी हैं — पानी की भरपूर उपलब्धता से आने वाला समय खेती और जल संरचना दोनों के लिए सुनहरा अवसर बनता दिख रहा है।