इस दौरान नीति के प्रारूप पर विभिन्न उद्योग प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों, स्टार्टअप्स और छात्रों ने अपने सुझाव साझा किए। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता शासन सचिव श्रीमती अर्चना सिंह ने कहा कि यह नीति प्रदेश को जिम्मेदार, समावेशी और नवाचार-प्रधान एआई विकास का केंद्र बनाने की दिशा में निर्णायक साबित होगी।
स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा, शहरी प्रशासन—हर क्षेत्र में एआई की पहुँच
श्रीमती सिंह ने बताया कि प्रस्तावित नीति के जरिए राज्य में स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा, और शहरी प्रशासन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में एआई आधारित समाधान को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे जनसेवाओं की गुणवत्ता सुधरेगी और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी।
खुला मंच, सबको आमंत्रण
राज्य सरकार ने नीति के मसौदे को विभाग की वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिया है और नागरिकों से इस पर अपने सुझाव भेजने की अपील की गई है।
औद्योगिक और शैक्षणिक जगत से मिला सकारात्मक फीडबैक
कार्यशाला को दो सत्रों में विभाजित किया गया था। पहले सत्र में Oracle, IBM, NEC, Orbit, Ernst & Young जैसी देश-विदेश की अग्रणी एआई कंपनियों के प्रतिनिधियों ने नीति पर अपनी राय रखी, वहीं दूसरे सत्र में IIM उदयपुर, IIT कानपुर, IIT जोधपुर, MNIT जयपुर जैसे संस्थानों से जुड़े विशेषज्ञ, शिक्षक, स्टार्टअप्स और छात्रों ने भाग लिया।
NEC के श्री दीपक पठानिया ने नीति के प्रयासों की सराहना करते हुए इसे "प्रदेश के लिए मील का पत्थर" बताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को व्यावहारिक अप्रोच अपनाते हुए नीति के हर पहलू को जमीनी स्तर पर लागू करना चाहिए।
Ernst & Young की सुश्री विभा ने कहा कि पॉलिसी में महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया है। उन्होंने नैतिक एआई को बेहतर समझने के लिए एक "एआई प्लेबुक" लाने का सुझाव दिया।
डिजिटल एम्पॉवरमेंट फाउंडेशन के श्री सौरभ श्रीवास्तव ने महिलाओं, विशेष योग्यजन और वरिष्ठ नागरिकों पर एआई के सकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डाला और ग्रीन डेटा सेंटर की आवश्यकता जताई।
Dash AI Glasses के संस्थापक श्री हिमांशु डागा ने एआई की विश्वसनीयता और सामाजिक जवाबदेही पर चर्चा की, जबकि एनएलयू जोधपुर की कुलपति प्रो. गुरप्रीत कौर ने एआई के कानूनी पहलुओं पर विचार रखते हुए शिक्षकों को एआई टूल्स से प्रशिक्षित करने की बात कही।
नीति के प्रमुख बिंदु:
जनसेवाओं में सुधार के लिए एआई तकनीक का इस्तेमाल
नैतिक और जिम्मेदार एआई विकास की रूपरेखा
शक्ति सम्पन्न कानूनी ढांचा
कौशल विकास और रोजगार के नए अवसर
डिजिटल बुनियादी ढांचे का विस्तार
नवाचार और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन
नीति के तहत राज्य में एक "सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर एआई (CoE-AI)" की स्थापना की जाएगी, जो शोध, नवाचार और एआई स्टार्टअप्स को सहयोग प्रदान करेगा। इसके साथ ही बहु-स्तरीय संस्थागत ढांचा जैसे एआई एपेक्स कमेटी, स्टीयरिंग कमेटी, टास्क फोर्स और विभागीय एआई नोडल अधिकारी भी नीति के तहत गठित किए जाएंगे।
राष्ट्रीय मिशनों से तालमेल और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं का समावेश इस नीति को न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक बनाएगा, बल्कि राजस्थान को कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में एक उभरता हुआ "नेक्स्ट एआई डेस्टिनेशन" भी बना सकता है।