राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस महज़ आंकड़ों के महत्व का प्रतीक नहीं, बल्कि यह वैज्ञानिक सोच के साथ सामाजिक और आर्थिक विकास की दिशा तय करने की प्रेरणा भी देता है।
समारोह को संबोधित करते हुए श्री बागडे ने नीति निर्धारण में आंकड़ों की केंद्रीय भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि आज के दौर में डेटा देश की सबसे बड़ी आवश्यकता बन चुका है। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे तथ्यात्मक, निष्पक्ष और वैज्ञानिक पद्धति से आंकड़े जुटाएं और उनका सूक्ष्म विश्लेषण करें, क्योंकि इन पर आधारित योजनाएं ही जनकल्याण के वास्तविक परिणाम दे सकती हैं।
इस अवसर पर राज्यपाल ने भारतीय सांख्यिकी के जनक प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनकी दूरदृष्टि और पहल से ही 1950 में नेशनल सैंपल सर्वे (NSS) की स्थापना हुई, जिसने भारतीय सांख्यिकी क्षेत्र को नई दिशा दी।
राज्यपाल ने NSS की 75वीं वर्षगांठ पर बधाई देते हुए आंकड़ा संग्रहण में सतर्कता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का सपना तभी साकार होगा जब डेटा विश्वसनीय, समावेशी और वास्तविक समय पर आधारित होगा।"
समारोह के दौरान राज्यपाल ने सांख्यिकी सेवा के उत्कृष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को सम्मानित किया। इसके साथ ही उन्होंने 'खबरों के झरोखे से' पुस्तक का लोकार्पण भी किया।