डॉ. सुरपुर ने मंडल मुख्यालय के साथ-साथ सभी क्षेत्रीय कार्यालयों के प्रभारी अधिकारियों को आदेश दिया कि वे जिला प्रशासन और विभिन्न हितधारकों के समन्वय से इस कार्य को गति दें। उन्होंने कहा कि इस अभियान के तहत राज्यभर में अधिक से अधिक हरित क्षेत्र बढ़ाया जाए।
बैठक में डॉ. सुरपुर ने उद्योगों के पंजीकरण की एमआईएस 2.0 प्रणाली, सीईटीपी (कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट्स), स्काडा सिस्टम की कार्यप्रणाली और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) व अन्य न्यायालयों के निर्देशों के अनुपालन की समीक्षा की। उन्होंने यह भी कहा कि हितधारकों को पर्यावरण संरक्षण संबंधी नई तकनीकों और कानूनों की जानकारी देने के लिए हर क्षेत्रीय कार्यालय में प्रति माह दो कार्यशालाएं आयोजित की जाएं। इसके लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ-साथ स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग लिया जाए।
मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा की "ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस" नीति की सफलता के लिए मंडल की सक्रिय भूमिका पर बल देते हुए अध्यक्ष ने निर्देश दिए कि लंबित आवेदनों का समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित किया जाए। निरीक्षण कार्यों में भी नियमितता लाने पर विशेष जोर दिया गया।
बैठक का संचालन मंडल के सदस्य सचिव श्री शारदा प्रताप सिंह ने किया। उन्होंने जानकारी दी कि पिछले वर्ष आरएसपीसीबी द्वारा 14.30 लाख पौधे लगाए गए थे, और इस वर्ष भी पाली व भिवाड़ी में मियावाकी तकनीक से एक-एक लाख पौधों का रोपण किया जा रहा है।
बैठक में मुख्य पर्यावरण अभियंता श्री प्रेमालाल, मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी श्री विक्रम सिंह परिहार सहित सभी क्षेत्रीय कार्यालयों के प्रभारी, अधिकारीगण एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे।