‘गधे की बारात’ का 348वां मंचन, बिखरा हास्य का जादू :
पहले दिन सप्तक कल्चरल सोसाइटी के कलाकारों ने हास्य नाटक ‘गधे की बारात’ का शानदार मंचन किया।
विश्व दीपक त्रिखा के निर्देशन में इस नाटक का यह
348वां मंचन था, जो दर्शकों से खचाखच भरे सभागार में हंसी और तालियों की गूंज के साथ यादगार रहा।
सप्तक के अध्यक्ष अविनाश सैनी ने बताया कि यह नाटक भारत के विभिन्न शहरों के साथ-साथ पाकिस्तान के लाहौर में भी मंचित हो चुका है। हरियाणा के किसी भी समूह द्वारा यह पहला हिंदी नाटक है, जिसके 348 मंचन पूरे हुए हैं। मूल रूप से मराठी में हरिभाई बड़गांवकर द्वारा लिखित इस नाटक का हिंदी रूपांतरण
राजेंद्र मेहरा और रमेश राज हंस ने किया।
कलाकारों ने जीता दर्शकों का दिल :
नाटक में कल्लू कुम्हार की मुख्य भूमिका अविनाश सैनी ने निभाई, जिनके सहज अभिनय ने दर्शकों को हंसी से लोटपोट कर दिया। डॉ. सुरेंद्र शर्मा ने बृहस्पति गुरु और चौपट राजा, तरुण पुष्प त्रिखा ने दीवान, शक्ति सरोवर त्रिखा ने इंद्र, अनिल शर्मा ने चित्रसेन, चेरी गिरधर ने गंगी, महक कथूरिया ने राजकुमारी, वर्षा ने अप्सरा रंभा, वंशिका और वर्षा ने राजनर्तकी, कुमार गर्व ने द्वारपाल, और नीतिका सिंगल ने बुआ जी की भूमिका बखूबी निभाई। हरियाणा के प्रसिद्ध नगाड़ा वादक सुभाष नगाड़ा के संगीत ने प्रस्तुति को और जीवंत बनाया। विकास रोहिला और गुलाब सिंह ने हारमोनियम और गायन से समां बांधा। मेकअप की जिम्मेदारी अनिल शर्मा, संगीत और प्रकाश व्यवस्था जगदीप जुगनू, और प्रोडक्शन का कार्य यतीन वाधवा ने संभाला।
पौराणिक कथा और हास्य-व्यंग्य का अनूठा संगम :
‘गधे की बारात’ एक पौराणिक कथा पर आधारित हास्य-व्यंग्य नाटक है। कहानी में इंद्रदेव के दरबार में अप्सरा रंभा के नृत्य के दौरान गंधर्व चित्रसेन नशे में उसका हाथ पकड़ लेता है, जिसके कारण इंद्र उसे श्राप देता है कि वह मृत्यु लोक में गधा बनकर भटकेगा। माफी मांगने पर इंद्र वरदान देता है कि जब उसकी शादी किसी राजा की बेटी से होगी, तब वह श्राप से मुक्त होगा। गधा बना चित्रसेन पृथ्वी पर कल्लू कुम्हार के घर रहता है। राजा द्वारा घोषित एक शर्त—एक रात में महल की ड्योढी से मुफलिसों की बस्ती तक पुल बनाने की—को चित्रसेन पूरा कर देता है। राजा की बेटी से शादी के दौरान जयमाला डालते ही चित्रसेन अपने असली रूप में लौट आता है, लेकिन वह कल्लू और गंगी को पहचानने से इनकार कर देता है। नाटक का अंत सामाजिक संदेश देता है कि दुनिया में केवल दो समूह हैं—गरीब और अमीर। अमीर हमेशा अमीर रहता है, और गरीब अगर अमीर बन भी जाए, तो वह अपने पुराने साथियों को भूल जाता है। यह हास्य-व्यंग्य से भरपूर नाटक अपनी बात कहने में पूरी तरह सफल रहा।
उपस्थित गणमान्य और रंगप्रेमी :
मुख्य अतिथि डॉ. प्रीति और विशिष्ट अतिथि सुनीत धवन के अलावा, रंगप्रेमी डॉ. संतोष मुदगिल, राज वर्मा, सुशीला देवी, डॉ. हरीश वशिष्ठ, नरेंद्र शर्मा, ओम प्रकाश, अजय गर्ग, पंकज शर्मा, रिया शर्मा, मनीष खरे, समीर शर्मा, और अंकुश सहित कई दर्शक उपस्थित रहे।