राज्यभर में 17 सितम्बर से चल रहे इन शिविरों में अब तक 8,267 पट्टे स्वीकृत किए जा चुके हैं, जिनमें कच्ची बस्तियों के नियमन से लेकर कृषि भूमि पर स्वीकृत योजनाओं के लाभार्थी तक शामिल हैं। धारा 69-ए के तहत 768 परिवारों को पट्टे मिले, वहीं 587 अपंजीकृत पट्टों का वैधीकरण कर पंजीयन किया गया। 221 बस्तियों को कानूनी मान्यता, और 4,834 लोगों को कृषि भूमि पर योजनाओं के तहत पट्टे दिए गए हैं।
नगर निकाय, प्राधिकरण और ट्रस्ट की योजनाओं के अंतर्गत 941 पट्टे जारी किए गए, जबकि पूर्व में जारी पट्टों के समर्पण के बाद 206 नए पट्टे जारी हुए। इसके अलावा 455 प्रकरणों को लीज होल्ड से फ्री होल्ड में बदला गया है, और 255 पट्टे स्टेट ग्रांट के तहत स्वीकृत हुए हैं।
सिर्फ पट्टे नहीं, शहरी सुधार में भी ऐतिहासिक कदम
'शहरी सेवा शिविर 2025' सिर्फ दस्तावेज़ों तक सीमित नहीं रहा। नगरीय निकायों ने 1,792 सड़क मरम्मत मामलों का समाधान किया, जबकि जन्म, मृत्यु एवं विवाह पंजीयन के 42,347 प्रकरणों का भी त्वरित निस्तारण किया गया।
स्वनिधि योजना के तहत 1,068 मुख्यमंत्री स्वनिधि और 813 प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के प्रकरण स्वीकृत किए गए। साथ ही 1,702 नालों की मरम्मत के मामलों का भी निपटारा हुआ।
स्वच्छता और हरियाली को बढ़ावा देते हुए अब तक 55,222 पौधे लगाए जा चुके हैं — एक हरित और स्वच्छ नगरी की ओर राज्य का स्पष्ट इरादा।
जनता का भरोसा बढ़ा
पाली निवासी नंदलाल, जो 52 वर्षों से अपने पैतृक घर के पट्टे का इंतजार कर रहे थे, कहते हैं— “शिविर में मेरी फाइल देखी गई और उसी दिन पट्टा मिल गया। पहली बार लगा कि यह घर मेरा है।”
सरकार-जनता की साझेदारी का सफल मॉडल
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार की प्राथमिकता यही है कि किसी को भी अपने अधिकार के लिए वर्षों तक प्रतीक्षा न करनी पड़े। 'शहरी सेवा शिविर 2025' इसी नीति का ज़मीनी उदाहरण बन चुका है।
इन शिविरों ने यह दिखा दिया है कि जब सरकार और जनता एक मंच पर खड़ी होती है, तो बदलाव केवल नीति पत्रों में नहीं, ज़मीन पर भी साफ़ दिखाई देता है।