लालजी देसाई ने पालनपुर में आयोजित एक विशाल किसान सभा को संबोधित करते हुए कहा, "जमीन हमारी माता है, और कोई इसे लूटने की कोशिश करेगा, तो यह बर्दाश्त नहीं होगा। कलेक्टर कहते हैं कि 20 रुपये में पानी, दूध या कपड़ा नहीं मिलता, तो फिर 20 रुपये प्रति मीटर जमीन क्यों? यह किसानों को भिखारी बनाने की साजिश है।" उन्होंने आगे कहा, "जिसका राजा व्यापारी, उसकी प्रजा भिखारी। सरकार की नीतियां ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर रही हैं।"
दूध की कीमतों पर भी सवाल :
लालजी देसाई ने दूध की कम कीमतों पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, "बनासकांठा, मेहसाणा, साबरकांठा जैसे जिलों में किसान और पशुपालक रात-दिन मेहनत करते हैं, लेकिन उनकी मेहनत का फल डेयरी सहकारी समितियों के नेता खा जाते हैं। दूध पानी के भाव बिकता है, जबकि मलाई नेताओं की जेब में जाती है।" उन्होंने दूध सत्याग्रह की शुरुआत करने और किसानों को उचित मूल्य दिलाने की मांग की।
गांधीनगर तक ट्रैक्टर मार्च की चेतावनी :
किसानों ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो बनासकांठा जिला गुजरात के खेतों का महासम्मेलन आयोजित करेगा और गांधीनगर तक ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा। देसाई ने कहा, "हमारी जमीन हमारे दादा-परदादा की धरोहर है। इसे कोई छीन नहीं सकता। अगर सरकार नहीं सुनी, तो गांधीनगर बहुत दूर नहीं है।"
सरकार पर निशाना :
कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने केंद्र और राज्य सरकार पर किसान विरोधी नीतियों का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "यह सरकार किसानों को भिखारी बनाने पर तुली है। हम सड़कों पर उतरकर सत्ता को चुनौती देंगे।" उन्होंने बनासकांठा के किसानों की एकता की सराहना की और इसे पूरे गुजरात में एक बड़े आंदोलन की शुरुआत बताया।
सभा में मौजूद किसानों ने लालजी देसाई के भाषण का जोरदार समर्थन किया। स्थानीय किसान भाइयों ने कहा, "हमारी जमीन और दूध की मेहनत का सही दाम चाहिए। अगर सरकार नहीं सुनती, तो हम चुप नहीं बैठेंगे।" सभा में महिलाओं की भी बड़ी संख्या थी, जिन्होंने अपनी मेहनत को अनदेखा करने के लिए डेयरी समितियों की आलोचना की।
बनासकांठा जिला, गुजरात के डेयरी और कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। बनास डेयरी जैसे सहकारी संगठन यहां के किसानों और पशुपालकों की आजीविका का आधार हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में दूध की कम कीमतों और जमीन अधिग्रहण के मुद्दों ने किसानों में असंतोष को बढ़ाया है। यह आंदोलन इस असंतोष का परिणाम है, जिसे अब कांग्रेस सेवादल और अन्य संगठन समर्थन दे रहे हैं।
लालजी देसाई ने घोषणा की कि
कांग्रेस सेवादल गांव-गांव जाकर किसानों के मुद्दों को उठाएगा और इस आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाएगा। उन्होंने कहा, "यह सिर्फ बनासकांठा की लड़ाई नहीं, बल्कि पूरे देश के किसानों की आवाज है।" आंदोलन के अगले चरण में गुजरात के अन्य जिलों जैसे मेहसाणा, साबरकांठा, खेड़ा और आणंद को भी शामिल करने की योजना है।