एलएबी के सह-अध्यक्ष चेरिंग दोरजे और वांगचुक रविवार को करगिल पहुंचे। वहां करगिल विकास प्राधिकरण (केडीए) के विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। कुछ लोग अटकलें लगा रहे थे कि उन्हें प्रदर्शन में शामिल होने की इजाजत नहीं मिलेगी और शायद गिरफ्तार कर लिया जाएगा। लेकिन वांगचुक ने इन अफवाहों को गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने कहा, “मैंने कभी गलत नहीं किया। मैं हमेशा देश और लोगों की सेवा करता रहा हूं। हमारा मकसद लेह और करगिल के लोगों को एकजुट करना और लद्दाख को बांटने की कोशिश करने वालों का विरोध करना है।”
वांगचुक ने कहा, “सच्ची आलोचना नेताओं को बेहतर बनाती है। अगर हमें गिरफ्तार किया जाता है, तो हमें कोई आपत्ति नहीं। मैंने अपना जीवन देश के लिए जिया है और इसके लिए मरने को भी तैयार हूं।”
उन्होंने लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता से अपील की कि वे क्षेत्र के लोगों को कायर न समझें। वांगचुक ने कहा, “लद्दाख के लोग शांतिप्रिय हैं और बातचीत में विश्वास रखते हैं। हमने युद्धों में भी अपनी जान दी है। कुछ कॉर्पोरेट्स के फायदे के लिए इस रिश्ते का गलत इस्तेमाल न करें।”
वांगचुक ने नौकरशाही में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और कहा कि उनके पास इसके सबूत हैं। उन्होंने एक सौर ऊर्जा संयंत्र को लेकर भी चिंता जताई, जिसके लिए 40,000 एकड़ जमीन दी जा रही है। यह संयंत्र 13,000 मेगावाट बिजली पैदा करेगा, जो दुनिया के सबसे बड़े सौर संयंत्र से तीन गुना ज्यादा है। उन्होंने आशंका जताई कि यह परियोजना उद्योगपति गौतम अडानी को दी जा सकती है, जिससे हजारों चरवाहों का विस्थापन हो सकता है। ये चरवाहे पश्मीना जैसे कीमती रेशे बनाते हैं। वांगचुक ने कहा कि न तो स्थानीय लोग और न ही जनप्रतिनिधि इस जमीन हस्तांतरण की पूरी जानकारी से वाकिफ हैं।
करगिल में केडीए के सह-अध्यक्ष असगर अली करबलाई और सांसद मोहम्मद हनीफा ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया। हनीफा ने कहा कि लद्दाख के लोग शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें उठा रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा बातचीत में देरी के कारण उन्हें भूख हड़ताल करनी पड़ रही है।
लद्दाख के लोग लंबे समय से पूर्ण राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची में शामिल करने, स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण और लेह-करगिल के लिए अलग-अलग संसदीय सीट की मांग कर रहे हैं। छठी अनुसूची आदिवासी समुदायों को संवैधानिक सुरक्षा देती है और उन्हें जमीन, स्वास्थ्य, और कृषि से जुड़े कानून बनाने के लिए स्वायत्त परिषद बनाने की अनुमति देती है।
पहले भी वांगचुक 2024 में 21 दिन का ‘जलवायु अनशन’ कर चुके हैं और लद्दाख से दिल्ली तक पदयात्रा कर अपनी मांगें उठा चुके हैं। यह भूख हड़ताल शनिवार को शुरू हुई और सोमवार शाम को खत्म होगी।