कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलराज सिंह ने कहा कि प्राकृतिक खेती न केवल पर्यावरण संरक्षण का माध्यम है, बल्कि यह किसान की आत्मनिर्भरता की कुंजी भी है। उन्होंने खेत में मौजूद संसाधनों के समुचित उपयोग और रसायन मुक्त खेती की जरूरत पर बल दिया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित श्री ईश्वर लाल यादव, अतिरिक्त निदेशक कृषि (विस्तार), जयपुर ने कहा कि बढ़ती बीमारियों और विषाक्त खाद्यान्न से बचाव के लिए प्राकृतिक खेती आज समय की मांग है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. एस.आर. ढाका ने प्रतिभागियों से आह्वान किया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती को लेकर जागरूकता फैलाएं और इसे एक जनआंदोलन का रूप दें।
उपनिदेशक कृषि एवं परियोजना निदेशक (आत्मा) जयपुर श्री भगवान सहाय यादव ने 'कृषक सखियों' की भूमिका और जिम्मेदारियों को रेखांकित किया, वहीं सहायक निदेशक कृषि (विस्तार) जोबनेर, डॉ. सुरेश यादव ने राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन की रूपरेखा और इसके उद्देश्यों की विस्तृत जानकारी दी।
प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को रुद्र शिवम डेयरी भैराणा और कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर में स्थापित प्राकृतिक खेती यूनिट का क्षेत्र भ्रमण भी कराया गया, जिससे उन्हें व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हो सका।
कार्यक्रम में प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. बनवारी लाल आसिवाल, डॉ. रामावतार शर्मा, डॉ. रोशन चौधरी, कृषि अधिकारी श्री दिनेश कुमावत सहित कई कृषि विशेषज्ञ उपस्थित रहे।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्राकृतिक खेती को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।