जानकारी के अनुसार, यह हादसा उस समय हुआ जब अवैध खनन में लगे डंपर तेज रफ्तार से सड़क पर दौड़ रहे थे। स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया पोस्ट्स के अनुसार, मझोला-सितारगंज मार्ग पर शाम के समय अवैध खनन के डंपरों का आवागमन आम बात है। इस हादसे में डंपर ने बाइक सवार को इतनी जोरदार टक्कर मारी कि उसकी मौके पर ही मौत हो गई। हादसे के बाद डंपर चालक मौके से फरार हो गया, जिसकी तलाश में पुलिस जुट गई है।
घटना की सूचना मिलते ही मझोला चौकी की पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक डंपर चालक का कोई सुराग नहीं मिला है। पुलिस अधीक्षक पीलीभीत ने बताया कि इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी और अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर भारी आक्रोश देखा जा रहा है।
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जैसे यूजर्स ने इस हादसे की जानकारी साझा करते हुए प्रशासन और पुलिस पर सवाल उठाए हैं। लोगों का आरोप है कि खनन माफियाओं पर अधिकारियों और पुलिस की मेहरबानी के चलते अवैध खनन का खेल बेरोकटोक चल रहा है। खनन विभाग के दावों के बावजूद, जिसमें अवैध खनन पर रोक लगाने की बात कही जाती है, इस तरह की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।
यह पहली बार नहीं है जब पीलीभीत में अवैध खनन के डंपरों की वजह से हादसा हुआ हो। पिछले साल 11 अप्रैल 2024 को भी हरिद्वार नेशनल हाईवे पर एक डंपर ने दो बाइकों को टक्कर मार दी थी, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई थी। उस हादसे में भी डंपर चालक फरार हो गया था, और स्थानीय लोगों ने प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए थे।
इस घटना ने एक बार फिर अवैध खनन और ओवरलोड वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को तेज कर दिया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगर समय रहते खनन माफियाओं पर लगाम नहीं लगाई गई, तो इस तरह के हादसे और बढ़ सकते हैं। बिजनौर में भी हाल ही में 10 मार्च 2025 को एक ओवरलोड खनन डंपर ने ई-रिक्शा को टक्कर मार दी थी, जिसमें एक महिला समेत तीन लोगों की मौत हो गई थी। इन घटनाओं से साफ है कि अवैध खनन का खेल न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि लोगों की जान के लिए भी खतरा बन गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अवैध खनन को रोकने के लिए न केवल सख्त कानूनी कार्रवाई की जरूरत है, बल्कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। साथ ही, लोगों में जागरूकता फैलाने और खनन माफियाओं के खिलाफ सामुदायिक स्तर पर कार्रवाई की जरूरत है।