भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) और फ्रांस के IRAP (Institute de Recherche en Astrophysique et Planétologie) के वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने तारों के वायुमंडल को समझने की दिशा में एक क्रांतिकारी खोज की है। उन्होंने तारकीय स्पेक्ट्रा (Stellar Spectrum) के अधिक यथार्थवादी अनुकरण (simulation) के लिए एफएनएलटीई (Full Non-Local Thermodynamic Equilibrium - FNLTE) आधारित एक नई गणनात्मक विधि विकसित की है, जो खगोल विज्ञान की दुनिया में एक महत्वपूर्ण मोड़ मानी जा रही है।
क्या हम इस विशाल ब्रह्मांड में अकेले हैं? यह सवाल लंबे समय से वैज्ञानिकों और आम लोगों को सोचने पर मजबूर करता रहा है। हाल ही में, एक पूर्व अमेरिकी वायुसेना अधिकारी डेविड ग्रुश के दावों ने इस रहस्य को और गहरा कर दिया है। उनके खुलासे ने दुनियाभर में उड़न तश्तरियों (UFO) और परग्रही जीवन को लेकर चर्चा तेज कर दी है। - संजय सक्सेना
वैज्ञानिकों ने एक ऐसी अत्याधुनिक तकनीक विकसित की है, जो अब तक इंजीनियरिंग की सबसे कठिन समझी जाने वाली धातुओं की मशीनिंग को भी आसान बना देगी। नई तकनीक खासकर जेट इंजन, परमाणु रिएक्टर और अंतरिक्ष यानों में इस्तेमाल होने वाली 'सुपर मिश्रधातुओं' (Super Alloys) की मशीनिंग में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।
दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करने वाले अल्ज़ाइमर रोग (AD) के इलाज की दिशा में एक बेहद अहम और क्रांतिकारी खोज सामने आई है। जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (JNCASR), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने इस जटिल न्यूरोलॉजिकल बीमारी के संभावित उपचार की दिशा में बड़ी सफलता हासिल की है।
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ होटल एंड टूरिज्म मैनेजमेंट (आईएचटीएम) में कम्यूनिकेशन स्किल्स विषय पर एक्सपर्ट टॉक का आयोजन किया गया। इसमें दोहा, कतर के इंटरनेशनल कम्युनिकेशन कोच आशीष आंतिल ने बतौर विशेषज्ञ वक्ता शिरकत की। आशीष आंतिल ने विद्यार्थियों को होटल एवं टूरिज्म के क्षेत्र में संचार कौशल की महत्ता से अवगत करवाया और प्रभावी संचार का मूल मंत्र साझा किया।
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर मेडिकल बायोटेक्नोलॉजी के तत्वावधान में रिसेंट एडवांसेज इन नैनो बायोसेंसिंग फैब्रिकेशन टेक्नोलॉजी विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें बायोसेंसर के हेल्थकेयर क्षेत्र में योगदान तथा उपयोगिता पर फोकस करते हुए आमंत्रित वक्ताओं ने विचार साझा किए।
रेल की पटरी पर जंग क्यों नहीं लगता? यदि यह सवाल मन में है तो इसका मुख्य कारण मैग्नीज स्टील है। इसी के कारण पानी में पड़े रहने के बाद भी पटरी चमचमाती रहती है। जबकि इसके अगल-बगल जंग दिखाई दे सकता है।