ममता बनर्जी ने स्पष्ट किया कि वक्फ कानून केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया है और उनकी सरकार ने इसे लागू करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब यह कानून बंगाल में लागू ही नहीं होगा, तो फिर हिंसा का क्या औचित्य है। उन्होंने जोर देकर कहा कि धर्म का मतलब शांति, एकता और मानवता है, न कि अराजकता और हिंसा। मुख्यमंत्री ने यह भी चेतावनी दी कि हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मुर्शिदाबाद में हिंसा की शुरुआत शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद हुई, जब प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर विरोध शुरू किया। देखते ही देखते यह प्रदर्शन हिंसक हो गया। उपद्रवियों ने पुलिस वाहनों, सार्वजनिक बसों और दुकानों में आग लगा दी। रेलवे ट्रैक को अवरुद्ध कर ट्रेनों में तोड़फोड़ की गई और कई इलाकों में पथराव की घटनाएं सामने आईं। इस हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग घायल हुए हैं। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। अब तक 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
हिंसा प्रभावित इलाकों में शांति बहाल करने के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों, खासकर सीमा सुरक्षा बल (BSF) की तैनाती की गई है। स्थानीय प्रशासन ने कई क्षेत्रों में धारा 144 लागू कर दी है और इंटरनेट सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। इस बीच, मुर्शिदाबाद के कुछ गांवों की पीड़ित महिलाओं ने स्थायी सुरक्षा की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि बार-बार होने वाली हिंसा ने उनके जीवन को खतरे में डाल दिया है। इन महिलाओं ने मांग की है कि उनके इलाकों में BSF के परमानेंट कैंप स्थापित किए जाएं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
महिलाओं ने बताया कि हिंसा के दौरान उनके घरों और दुकानों को निशाना बनाया गया, जिससे उनकी आजीविका पर गहरा असर पड़ा है। कई परिवारों ने डर के मारे अपने घर छोड़ दिए हैं और सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं। इन महिलाओं का कहना है कि स्थायी सुरक्षा व्यवस्था के बिना वे अपने गांवों में सुरक्षित महसूस नहीं कर सकतीं।
हिंसा को लेकर राजनीतिक घमासान भी तेज हो गया है। विपक्षी दलों ने ममता बनर्जी की सरकार पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफल होने का आरोप लगाया है। कुछ नेताओं ने दावा किया कि यह हिंसा पूर्व नियोजित थी और इसे रोकने के लिए समय पर कदम नहीं उठाए गए। दूसरी ओर, सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कुछ लोग जानबूझकर बंगाल में अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने भी हिंसा पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विरोध की इजाजत है, लेकिन हिंसा और अराजकता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की और केंद्र सरकार को स्थिति से अवगत कराया है। केंद्र ने भी अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती का आश्वासन दिया है।
मुर्शिदाबाद के अलावा, दक्षिण 24 परगना, मालदा और हुगली जैसे जिलों में भी हिंसा की छिटपुट घटनाएं सामने आई हैं। भांगर के घाटकपुकुर इलाके में भी तनाव देखा गया, जहां प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के साथ झड़प की। इन घटनाओं ने पूरे राज्य में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले ने जोर पकड़ा है। एक याचिकाकर्ता ने मांग की है कि मुर्शिदाबाद हिंसा की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराई जाए। याचिका में कहा गया है कि यह हिंसा केवल वक्फ कानून के विरोध तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी साजिश हो सकती है।
ममता बनर्जी ने एक बार फिर सभी धर्मों और समुदायों के लोगों से एकजुट रहने की अपील की है। उन्होंने कहा कि बंगाल हमेशा से शांति और सौहार्द की मिसाल रहा है और इसे बरकरार रखना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। उन्होंने लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने और समाज में भाईचारा बनाए रखने का आग्रह किया।
हालांकि, हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है, लेकिन लोगों के मन में डर और अनिश्चितता बनी हुई है। आने वाले दिनों में सरकार और प्रशासन के कदम इस मामले को शांत करने में कितने प्रभावी होंगे, यह समय ही बताएगा। फिलहाल, सभी पक्षों से संयम और सहयोग की उम्मीद की जा रही है, ताकि बंगाल फिर से शांति की राह पर लौट सके।