प्रदर्शनकारी वक्फ कानून के खिलाफ मार्च निकाल रहे थे, जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इस दौरान स्थिति उस समय बेकाबू हो गई, जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश की और पथराव शुरू कर दिया। जवाब में पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा। गुस्साई भीड़ ने न केवल सड़कों को जाम कर दिया, बल्कि पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी और सार्वजनिक संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया।
स्थानीय प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया है और इलाके में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। अधिकारियों का कहना है कि हिंसा में शामिल लोगों की पहचान की जा रही है और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया है, जिनसे पूछताछ जारी है।
वक्फ कानून को लेकर पश्चिम बंगाल में पिछले कुछ दिनों से तनाव बना हुआ है। इससे पहले मुर्शिदाबाद के सुति, धूलियन और जंगीपुर जैसे क्षेत्रों में भी हिंसक प्रदर्शन देखने को मिले थे, जिसमें कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हुए थे। इन घटनाओं के बाद राज्य सरकार और विपक्षी दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तेज हो गया है।
राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वक्फ कानून को पश्चिम बंगाल में लागू न करने का ऐलान किया है, जिसे लेकर केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कड़ा ऐतराज जताया है। रिजिजू ने कहा कि संसद से पारित कानून को लागू करना हर राज्य की जिम्मेदारी है और ऐसा न करना संविधान का अपमान है। दूसरी ओर, विपक्षी दलों का कहना है कि यह कानून अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों पर हमला है।
वक्फ कानून के खिलाफ हो रहे इन प्रदर्शनों ने न केवल कानून-व्यवस्था की स्थिति को चुनौती दी है, बल्कि सामाजिक सौहार्द पर भी सवाल उठाए हैं। कुछ संगठनों ने दावा किया है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों पर केंद्रीय नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश है, जिससे धार्मिक स्वतंत्रता प्रभावित होगी। वहीं, सरकार का तर्क है कि इस कानून का मकसद वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता लाना और अनियमितताओं को रोकना है।
दक्षिण 24 परगना की इस ताजा हिंसा ने एक बार फिर राज्य में शांति और सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। स्थानीय लोग और व्यापारी डर के साये में जी रहे हैं, जबकि प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट में भी इस कानून को लेकर सुनवाई होने वाली है, जिसके फैसले पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं।
हालांकि, कुछ इलाकों में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है, लेकिन भांगर जैसे क्षेत्रों में अभी भी तनाव बरकरार है। पुलिस और प्रशासन ने साफ कर दिया है कि हिंसा फैलाने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या इस तरह के संवेदनशील मुद्दों पर विचार-विमर्श और सहमति से कोई रास्ता निकाला जा सकता है, ताकि हिंसा और अशांति को रोका जा सके।
जैसे-जैसे यह मामला और तूल पकड़ रहा है, देशभर में इस कानून को लेकर बहस तेज होती जा रही है। सभी पक्षों से अपील की जा रही है कि वे संयम बरतें और समाज में एकता बनाए रखें।